दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र गोपाचल पर्वत, ग्वालियर किला, जिला ग्वालियर, मध्यप्रदेश
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र गोपाचल पर्वत, ग्वालियर किला,
जिला ग्वालियर, मध्यप्रदेश
ग्वालियर दुर्ग जिसे गोपाचल पर्वत पूर्व से कहा जाता था। विन्ध्याचल पर्वत की एक पर्वतीय 300 फुट उंची पहाड़ी पर स्थित है। उत्तर से दक्षिण इसकी लम्बाई पौने दो मील तथा पूर्व से पश्चिम तक लम्बाई 600 से 2800 फुट तक है। यह भारत का प्राचीनतम दुर्ग है। ग्वालियर किले के बाहरी दीवालों पर तथा उरवाई दरवाजे से ग्वालियर किले के जाने वाले रास्ते पर जैन तीर्थंकर शान्तिनाथ, बाहुबलि, नेमीनाथ, ऋषभदेव, अजितनाथ, चन्द्रप्रभु, महावीर आदि लगभग 1500 मूर्तियां है। पत्थरों को तराशकर बनाई गई हैं। मूर्तियों का निर्माण कार्य संवत 1398 से 1536 के मध्य का है जो तोमर वंश के राजा वीरमदेवी, डूंगर सिंह व कीर्तिसिंह के समय का है। जैन तीर्थंकर आदि नाथ की खडगासन मूर्ति 57 फुट की है और 42 फुट ऊँची 30 फुट चैड़ी पाश्र्वनाथ की पदमासन मूर्ति उरवाई दरवाजे से दुर्ग तक जाने का जो चढ़ाव वाला मार्ग स्थित है। वर्तमान में मध्यप्रदेश शासन के पुरातत्व विभाग के अधीन है और संरक्षण का कार्य चल रहा है। दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र होने के कारण जैन धर्म का मध्यभारत का प्रमुख तीर्थस्थल है।
ग्वालियर किला में पाश्र्वनाथ की 42 फुट ऊंची 30 फुट चैड़ी प्रतिमा और 6 इंच से लगाकर 52 फुट तक की लगभग 1500 खडगासन और पदमासन मूर्तियां जैन तीर्थंकर की पत्थरों को तराशकर बनाई गई हैं। में विशाल खड़गासन एवं पदमासन मूर्तियां पाषाणों को काटकर तराशकर बनाई गई है। भगवान आदिनाथ की मूर्ति सबसे विशाल है।
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