भारत में न्याय की देवी और धर्म का देवता-
आपने बहुधा न्याय की देवी की मूर्ति अथवा चित्र का दर्शन किया होगा। इस न्याय की देवी की आॅखो पर पट्टी बॅंधी है, मस्तक पर मुकुट है, एक हाथ में तुला और दूसरे हाथ में तलवार है। यह श्वेत वस्त धारण किए है। उच्चतम-न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री जगन्नाधराव ने न्याय की देवी पर एक शोधपूर्ण लेख लिखा है जो उच्चतम न्यायालय की स्वर्णजयंती के अवसर पर प्रकाशित ग्रंथ ‘‘सुप्रीम बट नाॅट इनफाॅलिबल’’ में छपा है। यह लेख पढ़ने लायक है। संक्षेप में, उन्होनें लिखा है कि इस न्याय की देवी के श्वेत वस्त्र उसकी पवित्रता और निष्कलंक होने का प्रतीक हैं। उसकी आॅंखों पर पट्टी बॅंधी है क्योंकि वह न्यायदान, तर्क, विवेक और अंतरात्मा की आवाज पर करती है, शारीरिक इंद्रिय ज्ञान अथवा भौतिक चेतना के आधार पर नहीं। तुला सम्यक् और भेदभावविहिन न्यायदान की प्रतीक है जबकि तलवार न्याय की कठोरता की प्रतीक है।
किंतु न्याय की देवी की भारतीय प्रस्तुति किंचित भिन्न है उच्चतम न्यायालय के भवन में जिस द्वार से न्यायाधीश प्रवेश करते हैं वहाॅं दीवार पर एक भित्ति-चित्र उकेरा हुआ है, जिसमें मध्य में धर्म-चक्र है जो अशोक चक्र की प्रतिकृति है। उसके नीचे लिखा है-
‘‘सत्यमेवोद्धराम्यहम्’’ जिसका अर्थ है-‘‘मेरे द्वारा सत्य ही की विजय होती है’’ (ज्तनजी ंसवदम प् नचीवसक ) इस चक्र के एक ओर महात्मा गाॅंधी है; दो चरखे हैं और दूसरी ओर न्याय की देवी खड़ी हैं। इसके नेत्रों पर पट्टी नहीं बंधी है, बल्कि नेत्रों से एक ज्योति प्रवाहित हो रही है। इस मूर्ति का वर्णन करते हुए न्यायमूर्ति श्री जगन्नाधराव लिखते हंै कि न्याय की देवी के दाहिने हाथ में तुला है जिसकी डंडी सीधी है, वह न्याय-धर्म का प्रतीक है और बाॅंए हाथ में पुस्तक है, जो धर्मशास्त्र की प्रतीक है। भारतीय न्याय की देवी की आॅंखों पर पट्टी नहीं है क्योंकि बंद आॅंखों से न तो तुला का संतुलन देखा जा सकता है और न ही तलवार का सही प्रयोग हो सकता है और न ही धर्मग्रन्थ का पाठन। हमारी न्याय की देवी के नेत्रों से प्रस्फुटित प्रकाश की किरणें न्याय के मार्ग को अवलोकित रखती हैं। भारतवर्ष के पौराणिक साहित्य में न्याय के आसन पर धर्मराज आसीन हैं जो न केवल आॅंखें खुली रखते हंै बल्कि दिन-रात जागते हैं और प्रत्येक व्यक्ति का लेखा-जोखा बही-खाते में रखते हैं। कदाचित यहीं से इस धारणा को जन्म मिला है कि भारत के हमारे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय, अभिलेख न्यायालय ( कोट्र्स आॅफ रिकार्ड) हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में आंख में पट्टी बनी जो खड़ी है कौन है
जवाब देंहटाएंI think 'astin'
जवाब देंहटाएंNyayalaya Mein Khadi Hui Mahila Prithvi Mata hai jo Kalyug mein hone wale Anya Anya Milne Ki Dasha par kalipatti ka Pratik chinh apni Aankhon par Bande Liya Hai Kyunki Kalyug mein aisa hi hona hai Jahan
जवाब देंहटाएंगांधार देश की गांधारी थी जिन्हें धर्म की देवी कहा जाता था
जवाब देंहटाएंयहां कौरव पांडव के परिवार की थी जिन्हें धर्म देवी कहा जाता था इनका नाम गांधारी था इसीलिए आज कचहरी में गीता की कसम खिलाई जाती है
जवाब देंहटाएंयह न्याय की देवी गांधारी ही है जिन्हें धर्म देवी भी कहा जाता था यह कौरव पांडव के परिवार से थी इसीलिए आज गीता की कसम अदालतों में खिलाई जाती है
जवाब देंहटाएंयह गांधार देश के राजा की पुत्री थी और इन्हें धर्म देवी भी कहते हैं इसीलिए इनका नाम गांधारी था इनका जिक्र महाभारत और गीता में हुआ है इनका नाम गीता महाभारत दोनों में आता है इसीलिए आज भी कचहरी ओं में गीता की कसम खिलाकर न्याय किया जाता है इनका कहना था कि सभी काम नियमों कानून से हो
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