संदेश

भारत में रामायण पर आधारित जारी डाक टिकिट, विशेष आवरण और प्रथम आवरण

चित्र
  भारत में रामायण पर आधारित जारी डाक टिकिट, विशेष आवरण और प्रथम आवरण  डाक टिकिट 1. 26 जनवरी 1950 को भारत के स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक  समृद्धि को दर्शाने के लिए साढ़े तीन आने का डाक टिकिट जारी किया गया था जिसमें रामायण की चैपाइयों का अंकन है।  2. 1 अक्टुबर 1952 को अवधी रामायण के रचयिता तुलसीदास पर एक आने का डाक टिकिट जारी किया गया था।  3. 5 अप्रैल 1966 को 15 पैसे का डाक टिकिट कम्ब रामायणम के रचयिता 12वी शताब्दी के कवि कम्बर पर जारी किया गया था।  4. 14 अक्टुबर 1970 को संस्कृत भाषा में रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी पर 20 पैसे डाक टिकिट जारी किया गया था।  5. 15 अप्रैल 1974 को 2 रूपये का डाक टिकिट रावण के दशानन अवतार का डाक टिकिट जारी किया गया था।  6. वर्ष 1991 में कमला देवी चटोपाध्याय द्वारा रामायण पर आधारित रावण के कठपुतली पर 6रू. 50 पैसे का टिकिट जारी किया गया था।  7. 15 अक्टुबर 2000 को मधुबनी-मिथला चित्रकला में 3 रू. का डाक टिकिट बाली और सुग्रीव का आपस में यृद्ध करते हुए दर्शाया गया है।  छायाचित्र क्रमांक-10 8. दिनांक 26.10.2019 को...

देश-विदेश में भगवान गणेश पर जारी नोट सिक्का एवं डाक टिकेट

चित्र
 देश-विदेश में भगवान गणेश पर जारी नोट सिक्का एवं डाक टिकेट इंडोनेशिया में 20.08.2020 को 20,000/- तनचपंी का नोट जारी किया गया है जिसमें भगवान गणेश का चित्र अंकित है। मलेशिया में सन् 2016 को गणेश जी के चित्र अंकित 10 बयात का सिक्का जारी किया गया था। नेपाल थाईलैण्ड द्वारा गणेश जी पर डाक टिकट जारी किये गये है। श्री राम जन्म भूमि में निर्माण के दौरान वर्ष 2024 में पांच रूपये का गणेश जी चित्र अंकित डाक टिकिट जारी किया गया है। दतिया स्टेट में स्वतंत्रता के पूर्व आधा आना, दो आना, एक आना, पाव आना के डाक टिकिट जारी किये गये थे। इस प्रकार भारत में सर्वप्रथम दतिया स्टेट द्वारा गणेश जी पर डाक टिकिट जारी किये गये थे। 

रंगई पुल विदिशा, म.प्र.

चित्र
 रंगई पुल विदिशा, म.प्र.      पूर्व में विदिशा को भोपाल से जोड़ने के लिए रंगई पुल बना हुआ था जिसका निर्माण सन् 1856 ई. में हुआ था। सन् 1856 के पूर्व सीनियर ग्वालियर महाराज माधव राव सिंधिया का विदिशा दौरा हुआ। मोहन गिरी तालाब के पास वह ठहरे थे। उन्हें जमींदारों को सभा में बुलाया गया था। उस समय नंदवाना स्थित अटा वाले श्रीवास्तव परिवार से जो भौरिया गांव के जमींदार थे उन्हें पहंुचने में देरी हो गई। तब महाराज सिंधिया नाराज हो गए और दो कौड़ी का जुर्माना लगा दिया। तब जमींदार ने जुर्माना माफ करने का आग्रह किया तो महाराज सिंधिया ने रंगई पुल के निर्माण की बात रखी। दो कौड़ी का जुर्माना माफ कराने उस समय इस पुल का निर्माण कराया गया था जो पूर्व में विदिशा को भोपाल से जोड़ता है वर्तमान में विदिशा को भोपाल से जोड़ने के लिए नये पुल का निर्माण कराया गया है। 

जामवंतजी का मंदिर, सागर (म.प्र.)

चित्र
 जामवंतजी का मंदिर, सागर (म.प्र.)       सागर शहर से 25 कि.मी दूर गड़ाकोटा रोड पर गलगल टौरिया पहाड़ी पर जामवंतजी का मंदिर स्थित है किवदंती है कि सन् 1860 में सागर कटनी रेलवे ट्रैक की खुदाई में जामवंतजी और हनुमान जी की मूर्ति गड़ी हुई मिली थी जिन्हें एक पेड़ के नीचे विराजमान किया गया था बाद में छोटे से मंदिर का निर्माण किया गया है। लोगों का कहना है कि मंदिर के आसपास रिच और भालू घुमते देखे गये है। 

बाली (इंण्डोनेशिया) केचक और अग्नि नृत्य

चित्र
 बाली (इंण्डोनेशिया) केचक और अग्नि नृत्य   इण्डोनेशिया जो कि वर्तमान में मुस्लिम बहुल देश है परंतु आज भी हिंदु संस्कृति और सनातक के प्रभाव है। केचक बाली (इण्डोनेशिया) का सबसे अद्भुत नृत्य है जो कि बिना कोई साज-सामान और संवाद के किया जाता है।  इसके  उत्पत्ति एक प्राचीन अनुष्ठान मृत संध्याग या समाधि नृत्य से हुई है। जिसमें एक व्यक्ति समाधि की अवस्थाओं में देवताओं या पुर्वजों के साथ नृत्य करता है। रामकथा पर आधारित कावी भाषा जो जावा की प्राचीन भाषा है, ग्रंथ ‘‘रामायण ककविन‘‘ (काव्य) उपलब्ध है। जिस पर आधारित रामकथा के विभिन्न प्रसंगों, जैसे राम-सीता और स्वर्ण मृग, सीता हरण और रावण जटायु युद्ध तथा हनुमान द्वारा लंका दहन जैसे प्रसंगों पर नृत्य-नाट्य किये जाते है। केचक नृत्य में संवादों का आभार रहता है विभिन्न प्रकार की वेशभुषा, मुखुटों से सज्जित पात्रों द्वारा अपनी भाव भंगिमा और अपने एक्शन से नृत्य संचालित किये जाते है। बाली यात्रा के दौरान सीता हरण जटायु से युद्ध और लंका दहन के प्रसंग पर केचक नृत्य खुले आसमान के नीचे देखा गया था जिसके फोटोग्राफ्स प्रदर्शित किये गये है।...

आदिवासी क्रांतिकारी टंट्या भील खंडवा म.प्र.

चित्र
आदिवासी क्रांतिकारी टंट्या भील खंडवा म.प्र. टंट्या भील का जन्म मध्यप्रदेष के खंडवा जिले के पंधाना तहसील के ग्राम बड़दा में संक्रांत के 12वे दिन अर्थात 26 जनवरी 1842 में हुआ था, उनकी जमीन पाटिल जमींदार के पास गिरवी थी। जिसकी ब्याज के रूप में जमींदार द्वारा जमीन पर जबरन कब्जा किया गया था। इस प्रकार परिवार, समाज और राष्ट्र पर हुये अन्याय और अत्याचार के कारण महाविद्रोही टंट्या भील का निर्माण हुआ था। आम जनता में उनकी छवि राॅबिन हुड की थी, परंतु अंग्रेजों के समर्थक सामंतवादी जमींदारों द्वारा समाज में उनकी छवि लुटेरे के रूप में प्रचलित की गई थी। उनका वास्तविक नाम टंड्रा था। अंग्रेज सरकारी अफसर और सरकार समर्थक उच्च वर्ग के लोग उनसे भयभीत रहते थे, आम जनता उन्हें टंटिया मामा कहकर बुलाते थे। उन्हें पहली बार 1874 में गिरफ्तार किया गया था और एक साल की सजा काटने के बाद उनके अपराध को चोरी और अपहरण के गंभीर अपराधों में परिवर्तित किया गया था । दूसरी बार उन्हें 1878 में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा गिरफ्तार कर खंडवा जेल में रखा गया था, तीन दिन के बाद वह खंडवा जेल से भाग गये थे। बाद में इंदौर की सेना के अधिकारि...

तितली संग्रहालय एवं संरक्षण केन्द्र एवं मछली घर ग्राम गोपालपुर जिला रायसेन म.प्र.)

चित्र
तितली संग्रहालय एवं संरक्षण केन्द्र एवं मछली घर ग्राम गोपालपुर जिला रायसेन म.प्र.) जिला रायसेन के ग्राम गोपालपुर के तितली संग्रहालय एवं संरक्षण केन्द्र स्थित है। केन्द्र में तितलियों के जीवन की जानकारी विभिन्न प्रकार की तितलियों के छायाचित्र और तितलियों के जीवन चक्र की रोचक जानकारी प्रदर्शित की गई है और तितलियों के रहवास और संरक्षण के लिए संरचना निर्मित की गई है जिनमें तितलियाँ निवास करती है।