संदेश

सितंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सैरा नृत्य जिला सागर मध्यप्रदेश

सैरा नृत्य जिला सागर मध्यप्रदेश बुन्देलखण्ड  क्षेत्र जिसमें वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य के सागर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया तथा उत्तरप्रदेश राज्य के झांसी, ललितपुर, महोबा के क्षेत्र सम्मिलित  हैं।  बुन्देली राजाओं के गुणगान में वीररस के गीतों पर सैरा लोक नृत्य किया जाता है। यह नृत्य पुरूष प्रधान है जिसमें भाग लेने वाले युवक हाथ की लंबाई का बंास का डण्डा एक हाथ में और दूसरे हाथ में परम्परागत गले पर डाले जाने वाला गमछा या तौलिया का प्रयोग किया जाता है।  नृत्य करने वाले पुरूष गोल  घेरे में घूमघूम कर ढोलक,नगडि़या तथा झाॅझ के शोरों के साथ नृत्य करते हैं और एक साथ हाथ में लिये डण्डों को आपस में टकराकर या जमीन से टकराकर मधुर आवाज उत्पन्न करते हैं। सैरा बुन्देलखण्ड में सभी समाज के वर्गों में लोकप्रिय है तथा रक्षाबंधन के त्यौहार के आसपास किया जाता है। वाद्ययंत्र लिये हुए व्यक्ति बीच में उपस्थित रहते हैं और उनके चारेां ओर गोल घेरे में नृतक गीत गाते हुए और झूमते हुए नृत्य करते हैं। संलग्न- वीडियो में सैरा नृत्य करते हुए नृतकों को दर्शाया गया है  जो कि सागर जिले की रानगिर स्थित हरसिद

सिद्धपीठ बैलौन मां उत्तरप्रदेश

सिद्धपीठ बैलौन मां उत्तरप्रदेश उत्तरप्रदेश राज्य के बुलंद शहर की तहसील अनूप शहर में थाना नारौला परिक्षेत्र जो कि अणु शक्ति केन्द्र स्थित होने के कारण प्रसिद्ध है, के बैलौन गांव में स्थित है। आगरा अलीगढ़ सड़क मार्ग से नारौरा, रामपुर, मुरदाबाद रोडवेज व प्राईवेट बस से सड़क मार्ग पर और अतरौली होकर नारौरा रामपुर मुरादाबाद, चंदौसी, बिजनौर मार्ग पर जाने वाली बसें जो कि नारौरा में रूकती हैं से बैलौन गांव सड़क मार्ग से पहुॅचा जा सकता है प्रसिद्ध अणु शक्ति केन्द्र नारौरा से लगभग 4 किलो मीटर दूरी पर बैलौन गांव स्थित है। रेलवे स्टेशन बैलौन से मात्र 5 किलो मीटर दूर स्थित है।  अलीगढ़ और आगरा से सीधे बैलौन पहुॅचने के लिए रेल सुविधा उपलब्ध है हवाई मार्ग के लिए निकट का हवाई अड्डा आगरा में स्थित है। बैलौन माॅ आदि शक्ति दुर्गा के रूप में हैं। देवी शेर पर सवार हैं जिनका एक पैर नीचे लटका हुआ है दूसरा पैर शेर की पीठ पर मुड़ा हुआ है मूर्ति लगभग पाॅच हजार वर्ष पुरानी है बैलौन माॅ की मूर्ति जमीन में दबी हुई अवस्था में प्राप्त हुई है देवी मंदिर का निर्माण लगभग पाॅंच सौ वर्ष महाराजा ग्वालियर द्वारा उन

विष्णु विग्रह मंदिर मझोली मध्यप्रदेश के जबलपुर

चित्र
  विष्णु विग्रह मंदिर मझोली मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले की सीहोरा तहसील के मझोली  गांॅव में वाराह की विशाल प्रतिमा स्थित है। सीहोरा जबलपुर मिर्जापुर राजमार्ग से जुड़ा हुआ है।  11वीं सदी में निर्मित एवं कलांतर में ध्वस्त हुए मंदिर का पुननिर्माण 17-18वीं सदी में किया गया, जिसका शिखर मूलरूप में नहीं है।  मंदिर पूर्वाभिमुख है, जिसके बाह्य भित्तियों एवं परकोटे में प्राचीन मूर्तियां जड़ी हुई है।  द्वार के सामने स्तंभ है जिस पर दशावतार का अंकन है। मंदिर के द्वार शाखाओं में मकर वाहिनी गंगा एवं कच्छप वाहिनी यमुना का चित्रण है एवं बीचोंबीच योग नारायण पदमासन में बैठे हुए हैं तथा दोनों ओर नवग्रह प्रदर्शित हैं।  मंदिर के काष्ठ कपाटों पर भी देव अलंकरण हैं। मंदिर के वर्गाकार गर्भग्रह में 11वीं सदी विष्णु के अवतार वाराह की खड़ी विशाल मूर्ति हैं जो कि काले पत्थर की बनी हुई है।  जिसके नीचे चैकी पर अमृतघट लिये शेषनाग एवं उनके पीछे उनकी पत्नि प्रदर्शित हैं। शेषनाग के ऊपर तथा वराह की थूथन के नीचे पदमासन में योग नारायण हैं। वराह के शरीर पर देव मुनि सिद्ध एवं गंधर्व अलंकृत है