ग्यारसपुर विदिशा जिले




















 ग्यारसपुर
विदिशा जिले में ग्यारसपुर तहसील विदिशा से उत्तर-पूर्व में 38 किमी दूर भोपाल सागर राजमार्ग पर स्थित है जो कि बौद्ध, ब्राम्हण तथा जैन धर्म का मध्यकालीन युग का ऐताहासिक और महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। माला देवी का हिन्दू मंदिर 9वी शताब्दी में जो कि उॅचाई पर स्थित पहाड़ की चटटानों को काटकर बनाया गया है। और जिस पहाड़ को काटकर बनाया गया है उसके अवशेष आज भी विद्यमान है। मंदिर से नीचे घाटी मे देखा जा सकता है। गिरीपाश्र्व से काटे गये एक चबूतरे पर अव्यवस्थित तथा एक विशाल प्रतिधार दीवार द्वारा सुदृढ़ीकृत माला देवी मंदिर वस्तुतः एक ही चित्ताकर्षक तथा विलक्षण भवन है उसमें एक प्रवेश मंडप, एक प्रशाल तथा एक देव मंदिर है। वह एक प्रदक्षिणा-पथ से घिरा हुआ है और उस पर एक उॅचा शिखर है जो कि उत्कृष्ट नक्काशी से युक्त है। यद्पि अब देव मंदिर कक्ष तथा प्रशाल में जैन प्रतिमायें विराजमान है, तथापि बाहरी द्वार चैखट के समपर्ण प्रखंड में बनी हुई एक देवी की मूर्ति तथा अन्य सजावटी मूर्तिया संभवतः यह दर्शाता है कि मूलतः यह मंदिर किसी देवी को समर्पित था जिसके द्वार पर गंगा, यमुना एवं अन्य देवी देवताओं की मूर्तिया है जिसके उपर एक शिकारा है, तथा द्वार पर गरूड़ बने हुये है इसके चारों तरफ कुबरे, इन्द्र, इन्द्राणी एवं अन्य देवी-देवताओं की मूर्तिया है। कालांतर में इस क्षेत्र मंे जैन धर्म का अत्याधिक प्रभाव होने के कारण इसमें जैन तीर्थंकर की मूर्तिया स्थापित की गई है जिसमंे महावीर स्वामी की 6 फुट की एक प्रतिमा देखने लायक है। इस मंदिर के अंदर की दीवालों पर 24 जैन तीर्थंकर की मूर्तिया अंकित है। इसके अलावा यक्ष, यक्षणी तथा अन्य जैन समुदाय के देवी-देवताआंे की मूर्तिया है। वर्तमान में यह मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। माला देवी मंदिर में जाने का रास्ता बस स्टेंड से है। वर्तमान में मंदिर का शीर्ष अत्याधिक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में होने के कारण गर्भगृह में प्रवेश वर्जित रखा गया है ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रूपनाथ-सम्राट अशोक का शिलालेख

:ःः तिगवां (पूर्व गुप्तकालीन विष्णु मंदिर)ःःःVISHNU MANDIR कटनी पूर्व जिला जबलपुर (म0प्र0)

दशावतार मंदिर देवगढ़, ललितपुर उत्तर प्रदेश