नोहटा शिव मंदिर(NOHTA SHIVE MANDIR.,DAMOH MADHYA-PRADESH

सागर जबलपुर राजमार्ग पर मुख्य सडक से लगा हुआ मध्यप्रदेश राज्य के दमोह जिले की नोहटा तहसील में स्थित है । मंदिर का निर्माण कल्चुरि राजा शैव धर्मावलंबी युवराज देव प्रथम ने अपनी प्रिय रानी नोहला के आग्रह पर 915-945 ईस्वी को कराया था इसलिये मंदिर नोहलेश्वर के नाम से भी जाना जाता है । मंदिर का कुछ हिस्सा छोडकर शेष अपने मूल स्वरूप में है  मंदिर का निर्माण लगभग 100 फुट लंबाई चैडाई के और 6 फुट उंचाई वाले चबूतरे पर किया गया है । मंदिर में प्रवेशद्वार पांच शाखाओं में विभक्त है एक चैत्य,कक्षा तथा  द्वार मंडप हैं मंडप के चार मुख्य स्तंभ हैं इस मंदिर के गर्भगृह का शिखर अलंकृत युक्त है और गर्भगृह छोटा है  जिसमें शिवलिंग स्थापित है ।। सामने वाले मंडप की छत पर वर्तमान में शिखर उपलब्ध नहीं है ।

  1.  मूर्तिशिल्प अनुपम है,शिल्पाकृतियों में बारीक नक्काशी की गई है  इसमें मातिृका मूर्तियों की अधिकता है   । मुख्य द्वार  पर शीर्ष भाग में नवग्रह की मूर्तियां हैं । पाश्र्व में दांयी ओर नर्मदा और बांयी ओर यमुना की मूर्तियां हैं ।  चबूतरे के निचले भाग पर सामने दोनों ओर चारों तरफ लक्ष्मी के आठ प्रकारों की मूर्तियां हैं । गजलक्ष्मी का अंकन बहुत संुदर है ।  कल्चुरि काल की स्थापत्य कला के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है जिसे मध्यप्रदेश राज्य द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है । महत्वपूर्ण मूर्तियों में नर्मदा,यमुना,नटराज शिव जिन्हें नोटेश्वर भी कहा जाता है,सरस्वती,विष्णु,अग्नि,कंकाली देवी,उमा-महेश्वर, शिव-पार्वती, लक्ष्मी - नारायण और जैन मूर्तियों में चकेश्वरी तथा अंबिका की मूर्तियां मिलती हैं । अनेक पशु पक्षियों को उनके ब्याल के रूप में उत्कीर्ण किया गया है जिसमें गजब्याल,शुकब्याल महत्वपूर्ण हैं ।














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