सिद्धिविनायक श्री गणेश मंदिर, गणेशधाम सीहोर
भारतवर्ष में जो स्वयंभू गणेश जी के ऐसे प्रमुख चार स्थान सिद्धपुर सिहोर सिद्धिविनायक, उज्जैन के चिन्तामन गणेश जी, रंणथम्भौर संवाई माधोपुर राजस्थान के सिद्ध गणेश और सिद्धपुर गुजरात में महागणेश है।
सिद्धपुर को वर्तमान में सिहोर कहा जाता है।सिहोर जिले में जो कि भोपाल से 40 किमी दूर है, पश्चिम उत्तर में पार्वती नदी के किनारे में गोपालपुर गांव में मंदिर स्थित है।
स्वयंभू प्रतिमा जमीन में आधी घंसी हुई है। जो कि श्याम वर्ण काले पत्थर की स्वर्ण के समान मूर्ति का रूप दर्शित होता है। लगभग दो हजार वर्ष पूर्व वर्तमान उज्जैन पूर्व नाम अंवतिका के परमार वंश के राजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रम संवत 155 में मंदिर का निर्माण कराया गया था। बाद में लगभग 300 वर्ष पूर्व मंदिर का जीर्णोदार एवं सभा मंडल का निर्माण मराठा राजा पेशवा बाजीराव प्रथम द्वारा कराया गया। बाद में विक्रमादित्य के पश्चात् शलिवाहक शक, राजा भोज, कृष्णदेव राय, गौड़ राजा नवल शाह और नानाजी पेशवा विट्ठू वालो द्वारा तथा 1911 में बेगम सुल्तान जहां, 1933 में नबाब हमीदउल्लाखंा, भोपाल नबाब द्वारा मंदिर में पूजा व्यवस्था की जाती रही है। उक्त मंदिर सिद्ध गणेश मंदिर के कारण 84 गणेश सिद्ध मंदिरों में से एक है।
वर्तमान मंदिर पेशवाकालीन श्रीयंत्र के कोण पर बना हैं। जिसमें गर्भगृह में भगवान शिव बिराजे है वहीं भव्य शिखर के साथ अंबिका मां दूसरे शिखर पर दुर्गा मां और मां शारदा आरूढ़ है। भगवान राधाकृष्णादि के साथ ही वैदिक मंगल कलश, उपर पवित्र सुन्दर सभा मंडप, नीचे सभा मंडप और परिक्रमा व्यवस्था है, बगल में विशाल वट वृक्ष पर अनेक देवी देवता विराजे है, वहीं पीछे शीतला माता भैरोनाथ सामने हनुमान जी का मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त परिक्रमा के पीछे पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाकर अपनी मनौती मांगता है उनकी मनोकामाना भगवान गणेश शीघ्र ही पूर्ण करते है। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त अपनी श्रृद्धा और शक्ति से पान-प्रसाद चढ़ाते है, सच्ची श्रद्धा व भक्ति से जो भी भगवान श्री गणेश की शरण में आते है उनके मनोरथ अवश्य पूर्ण होते है।
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