मध्यप्रदेश में देवी दुर्गा (महिषासुर मर्दिनी) देवी प्रतिमा और उनके मूर्ति शिल्प का विवरण

देवी दुर्गा- विष्णुधर्मोत्तर में वर्णित रूप के अनुसार दुर्गा आठ भुजा वाली सिंह पर सवार है जिनके हाथांे में शूल, चक्र, कपाल, शंख, धनुष-बाण, खड्ग, खेटक तथा पाश रहता है। या आठ भुजाओं शक्ति, बाण, शूल, खड्ग, चन्द्रबिम्ब, खेटक तथा कपाल आयुध रहते है।
चार भुजा  दुर्गा स्वरूप में आगे का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में और पीछा हाथ में चक्र रहता है आगे के बांये हाथ में खेटक तथा पीछे के बांये में शंख पकड़ी रहती है और पद्मासन में खड़ी हुई या महिष की पीठ अथवा सिर पर बैठती हैं। उनका वक्षः स्थल लाल वस्त्र के द्वारा ढका रहता है जो सर्प के द्वारा बंॅंधा रहता है।
महिषासुर मर्दिनी-यह दुर्गा का ही रूप है। इस रूप में वे महिषासुर के साथ युद्ध करती हुई दिखायी जाती है। वैष्णव ग्रंथों में इनको चण्डिका भी कहा जाता है। विष्णु धर्मोत्तर पुराण में वर्णन किये अनुसार  देवी स्वर्ण  के समान शरीरधारी, त्रिनेत्र युक्त देवी  के रूप में अंकित की जाती है। जिनकी सवारी  सिंह  है और उनके बीस हाथ हैं। जिनमें दाहिनी भुजा में शूल, खड्ग, शंख, चक्र, बाण, शक्ति, वज्र, तथा डमरू रहता है। बाएॅं हाथों में नागपाश, खेटक, परशु, धनुष, घण्टा, ध्वज, गदा, दर्पण, तथा मुदगर, रहता है।

महिषासुर का महिषभाग कटा धरती पर पड़ा रहता है और वास्तविक असुर उनकी गर्दन से निकलता हुआ प्रदर्शित किया जाता है। देवी की सवारी सिंह भी उस पर प्रहार करता हुआ काटता हुआ दर्शित रहता है। और देवी अपना त्रिसूल असुर की गर्दन पर चुभोये रहती है। और राक्षस नागपाश में बंधा हुआ दोनों हाथों में एक में ढाल दूसरे में तलवार लिये हुये रहता है और तलवार उठी रहती है।

महिषासुर मर्दिनी-को  दस-भुजी, तीन नेत्र, जटा-मुकुट, तथा चन्द्रकलायुक्त प्रदर्शित किया जाता है। इस रूप में अतसी पुष्प के समान इनके शरीर का वर्ण रहता है। देवी उन्नत पयोधर, क्षीण कटि वाली हैं। इनके दाहिने हाथों में त्रिशूल, खड्ग, शक्ति, चक्र, धनुष तथा बाएॅं हाथों में पाश, अड्.कुश, खेटक, परशु तथा घण्टी रहती है। देवी का दाहिना पैर शैर की पीठ पर और बायाॅं भैंसे के शरीर को छूता हुआ प्रदर्शित किया जाता है।शेष रूप में   महिषासुर का महिषभाग कटा धरती पर पड़ा रहता है और वास्तविक असुर उनकी गर्दन से निकलता हुआ प्रदर्शित किया जाता है। देवी की सवारी सिंह भी उस पर प्रहार करता हुआ काटता हुआ दर्शित रहता है। और देवी अपना त्रिसूल असुर की गर्दन पर चुभोये रहती है। और राक्षस नागपाश में बंधा हुआ दोनों हाथों में एक में ढाल दूसरे में तलवार लिये हुये रहता है और तलवार उठी रहती है।
1. मध्यप्रदेश में विदिशा स्थित उदयगिरि की गुफा में महिषासुर मर्दिनी देवी के 10 भुजा की गुप्तकालीन प्रतिमा प्राप्त हुई है जिसमें सिंह प्रदर्शित नहीं है। उक्त प्रतिमा पत्थर को तराशकर बनाई गई है।
2. विदिशा के गंजबासौदा स्थित नील कंठेश्वर शिव मंदिर में बाह्य दीवाल पर विष्णु धर्मोत्तर पुराण में वर्णन 10 भुजा वाली महिषासुर मर्दिनी की ग्यारवीं शताब्दी की प्रतिमा उपलब्ध है जिनके हाथ खंडित अवस्था में है।
3. सागर स्थित डाॅ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में 20 भुजी प्रतिमा उपलब्ध है जिसे दुर्गा प्रतिमा भी कहा जाता है जिसमें देवी को 2 सिंहो पर सवार है ।
4. सागर स्थित डाॅ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में 4 भुजा धारी गुप्तकालीन उपलब्ध है।
5. गूजरी महल ग्वालियर म0प्र0राज्य के संग्रहालय में अशोकनगर के चन्देरी स्थान से प्राप्त नौंवी शताब्दी की अष्टभुजाधारी महिषासुर मर्दिनी देवी प्रतिमा उपलब्ध है।
6. भोपाल स्थित राज्य संग्रहालय में सरवनताल (नालछा) से ग्यारवीं शताब्दी की प्राप्त क्षेमंकरी दुर्गा की 10 भुजा वाली और दो सिंहों को अंकित करती हुई बैठी हुई अवस्था मंे उपलब्ध है।
7. जबलपुर स्थित चैंसठ योगिनी मंदिर में लगभग 10वीं शताब्दी की 20 भुजाधारी महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा उपलब्ध है जिसके हाथ खंडित अवस्था में है।
8. सागर शहर स्थित डा.हरिसिंह गौर विश्वविघालय के पुरात्व विभाग के संग्रहालय में महिषासुर मर्दिनी की आठवीं शताब्दी की बलुआ पत्थर से निर्मित सागर जिले स्थित देवरी से प्राप्त प्रतिमा उपलब्ध है जिसके चार हाथ है देवी बैठी हुई अवस्था मंे है।
9. सागर म0प्र0 स्थित डा.हरिसिंह गौर विश्वविघालय के पुरात्व विभाग के संग्रहालय में बीसभुजी दुर्गा 11वीं शताब्दी की बलुआ पत्थर से निर्मित मूर्ति है जिसके दो शेरों पर सवार बैठी हुई अवस्था में प्रतिमा उपलब्ध है।
10. रानी दुर्गावती राज्य संग्रहालय जबलपुर में लधुरूप में बलुआ पत्थर से निर्मित महिषासुर मर्दिनी की चार भुजाओं वाली प्रतिमा उपलब्ध है।
11. कलिंजर स्थित दुर्ग में पत्थर को तराशकर 20 भुजा धारी महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा उपलब्ध है।
12. वर्तमान कटनी जिला पूर्व में जबलपुर जिले के बोहरी बन्द के तहसील में सिंदूरी नाम के स्थान पर स्थित पहाडियों को तराशकर चारभुजा धारी गुप्तकालीन महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा उपलब्ध है।
13. वर्तमान कटनी जिला पूर्व में जबलपुर जिले के बोहरीवन्द के तिंगवा स्थान पर जहां पूर्व गुप्तकालीन विष्णु मंदिर स्थित है एक पृथक मंदिर में खडी हुई अवस्था में अष्ठभुुजाधारी दो शेरो से युक्त देवी की प्रतिमा उपलब्ध है।





















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