कुबेर लगभग ईस्वी पूर्व दूसरी शताब्दी(kuber and kuberi state museum vidish madhya pradesh)
विदिशा में यक्ष मणिभद्र (कुबेर) और कुबेरी की विशालकाय मूिर्त प्राप्त हुई है जो कि वर्तमान में राज्य संग्रहालय विदिशा में रखी गई है कुबेर की मूर्ति लगभग दस फुट चैडी जिसका व्यास 4 फुट का होगा जो कि विदिशा में किसी कुबेर के मंदिर में स्थापित की गई होगी । अर्थशास्त्र में कौटिल्य द्वारा कुबेर के मंदिर अन्य देवताओं के साथ दुर्ग के मध्य में स्थापित कराने की व्यवस्था का उल्लेख है । सामान्यतः कुबेर को धन का देवता माना जाता है । काश्यप सरिता के अनुसार कुबेर विद्या देने वाले माने जाते थे और उपनिषदों में ब्रम्हा को यक्ष कहा गया है । संदर्भ-मध्यभारत का इतिहास लेखक-हरिहरशरण द्विवेदी मूिर्त निर्माण कला से उपरोक्त कुबेर की मूर्ति पूर्व गुप्तकाल की मानी जाती है । उपरोक्त मूर्ति के समकक्ष मणिभद्र (कुबेर) की मूर्ति जो कि ईसापूर्व दूसरी शताब्दी की है । मथुरा के राजकीय संग्रहालय में रखी हुई है ।
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