विष्णु विग्रह मंदिर मझोली मध्यप्रदेश के जबलपुर








 विष्णु विग्रह मंदिर मझोली
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले की सीहोरा तहसील के मझोली  गांॅव में वाराह की विशाल प्रतिमा स्थित है। सीहोरा जबलपुर मिर्जापुर राजमार्ग से जुड़ा हुआ है। 
11वीं सदी में निर्मित एवं कलांतर में ध्वस्त हुए मंदिर का पुननिर्माण 17-18वीं सदी में किया गया, जिसका शिखर मूलरूप में नहीं है।  मंदिर पूर्वाभिमुख है, जिसके बाह्य भित्तियों एवं परकोटे में प्राचीन मूर्तियां जड़ी हुई है।  द्वार के सामने स्तंभ है जिस पर दशावतार का अंकन है। मंदिर के द्वार शाखाओं में मकर वाहिनी गंगा एवं कच्छप वाहिनी यमुना का चित्रण है एवं बीचोंबीच योग नारायण पदमासन में बैठे हुए हैं तथा दोनों ओर नवग्रह प्रदर्शित हैं।  मंदिर के काष्ठ कपाटों पर भी देव अलंकरण हैं।
मंदिर के वर्गाकार गर्भग्रह में 11वीं सदी विष्णु के अवतार वाराह की खड़ी विशाल मूर्ति हैं जो कि काले पत्थर की बनी हुई है।  जिसके नीचे चैकी पर अमृतघट लिये शेषनाग एवं उनके पीछे उनकी पत्नि प्रदर्शित हैं। शेषनाग के ऊपर तथा वराह की थूथन के नीचे पदमासन में योग नारायण हैं। वराह के शरीर पर देव मुनि सिद्ध एवं गंधर्व अलंकृत हैं। 
मूर्ति अत्यंत भव्य पुरातत्वीय महत्व की है।  मंदिर में ही शिवलिंग एवं अष्टभुजी दुर्गा के मंदिर हैं। मंदिर के प्रांगण में प्रारंभ में विष्णु स्तम्भ जो कि काष्ठ का बना है स्थापित किया गया है जिसमें विष्णु के दसावतार को काष्ठ स्तम्भ में उत्कीर्ण किया गया है। उपरोक्त वराह की प्रतिमा एक मछुआरे के मछली के जाल में फॅसकर तालाब से बाहर आयी थी। उपरोक्त वाराह की प्रतिमा देश में पाई गई वाराह की अन्य प्रतिमाओं की तुलना में सर्वश्रेष्ठ है। 

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