आदमगढ़ शैल चित्र एवं शैलाश्रय होशंगाबाद मध्यप्रदेश
शैलचित्र- मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में रेलवे स्टेशन से 3 किलो मीटर पहाडि़यों के समूह पर आदमगढ़ शैलचित्र एवं शैलाश्रय स्थित है। अतिप्राचीन होने के कारण इसका नाम आदमगढ़ पहाड़ी हुआ था। डाॅ0विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा जिन्होंने भीम बैठका के शैल चित्रों की खोज की है, द्वारा आदमगढ़ के शैल चित्रों एवं शैलाश्रयों की खोज की गयी थी। आदमगढ़ के शैलचित्र भीम बैठका के समकालीन हैं। जिनमें प्रमुख युद्ध्रत मानव के चित्र जिराफ का चित्र है। जिससे यह अनुमान निकलता है कि पूर्व में नर्मदा क्ष़्ोत्र में जिराफ जानवर भी हुआ करते थे विभिन्न जानवर सुअर, बारहसिंगा, हिरण हाथी,नर्तक घोड़े के चित्र भी पाये जाते हैं। शैलचित्र में खनिज रंग जैसे हेमेटाईट, चूना, गेरू आदि में प्राकृतिक गांेद और पशुओं की चर्बी के साथ रंग तैयार कर पाषाण पर शैलचित्र आदिमानव द्वारा किये गये हैं।
मानव शैलाश्रय- आदमगढ़ पहाडि़यों में ऊंचाई में आदी मानव के निवास के लिए शैलाश्रय बने हुये हैं जो कि चट्टानों को काटकर आदिमानव द्वारा तैयार किये गये हैं। शैलाश्रयोे की संरचना विश्वस्तरीय है इस प्रकार के शैलाश्रय आफ्रीका के कुछ भागों में पाये जाते हैं। यहां कुल 18 शैलाश्रय है जिनमें पाषाण एवं ऐतिहासिक कालीन मानव द्वारा बनाए गऐ उत्कृष्ट चित्र विद्यमान हैं उत्खनन के दौरान आदमगढ़ की पहाडियों में प्रचुर मात्रा में पाषाणकालीन बड़े एवं लघु उपकरण प्राप्त हुये हैं। जिससे यह दर्शित होता है कि बड़ी संख्या में आदिमानव आदमगढ़ की पहाडि़यों में लम्बे समय मानव निवास करते थे।
मानव शैलाश्रय- आदमगढ़ पहाडि़यों में ऊंचाई में आदी मानव के निवास के लिए शैलाश्रय बने हुये हैं जो कि चट्टानों को काटकर आदिमानव द्वारा तैयार किये गये हैं। शैलाश्रयोे की संरचना विश्वस्तरीय है इस प्रकार के शैलाश्रय आफ्रीका के कुछ भागों में पाये जाते हैं। यहां कुल 18 शैलाश्रय है जिनमें पाषाण एवं ऐतिहासिक कालीन मानव द्वारा बनाए गऐ उत्कृष्ट चित्र विद्यमान हैं उत्खनन के दौरान आदमगढ़ की पहाडियों में प्रचुर मात्रा में पाषाणकालीन बड़े एवं लघु उपकरण प्राप्त हुये हैं। जिससे यह दर्शित होता है कि बड़ी संख्या में आदिमानव आदमगढ़ की पहाडि़यों में लम्बे समय मानव निवास करते थे।
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