धमनार मंदिर की गुफाएं [Caves of Dhamnar]
धमनार मंदिर की गुफाएं
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की श्यामगढ़ तहसील से लगभग 25 किलोमीटर दूर ग्राम चंद्रवासा, जिसका प्राचीन नाम चंद्रगिरी भी है, प्रसिद्ध धर्मराजेश्वर मंदिर के समीप ही धमनार की गुफाएं स्थित है। उक्त गुफाएं उक्त मंदिर मंदसौर से 106 किलोमीटर दूर स्थित है। और इसके निकटतम रेलवे स्टेशन धमनाऱ है। जो इसका निकटतम रेलवे स्टेशन बंबई-नागदा,-बड़ौदा-रेलवे लाइन पर स्थित है। शैली और विन्यास के अनुसार ये बौद्ध गुफाएं 5-6 से लेकर 8-9 वीं शताब्दी तक निर्मित हो सकती हैै और लेटेराइट पत्थर की गहरी शिलाओं को तराशकर निर्मित की है।
बौद्ध स्तूप, (पूजा गृह), चैत्यगृह और विहार (बौद्ध भिक्षुओं के ठहरने का स्थान) पहाड़ी की ढलान की ओर उत्खनित कर बनाया गया है। बौद्ध भिक्षुओं का ध्यान साधना करने और ठहरने के अनेक विहार, जिनमें कक्ष बने हुए हैंै। कुछ विहारों में कक्ष और चैत्य साथ बनाए जाकर चैत्य विहार बनाए गए है। चैत्यगृह आकृति गजपृष्ठाकर है स्तूप के चारों ओर प्रदक्षिणापथ है स्तूप आधे कटोरे के समान हैं एक स्तूप की उंचाई 5.18 मीटर है, अनुश्रुति में इसे हाथी की मेख अथवा हाथी का पैर कहा जाता है। तथा गुफाओं के मुख्यद्वारा पर कीर्तिमुख, त्रिरत्न एवं स्तूप अलंकरणों से अलंकृत है। अश्वनाल-आकृति की शैल श्रृंखला में छोटी-बड़ी गुफाओं की संख्या 200 से अधिक है और 2 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। गुफाओं में निर्वाण मुद्रा में बैठे गौतम बुद्ध की बड़ी मूर्तियों सहित विभिन्न मुद्राओं और स्वरूप में पत्थरों को तराशकर मूर्ति बनाई गई हैं, जो कि अब अस्पष्ट है ऐसा प्रतीत होता है कि गुफाओं की दीवारों पर अजंता और बाघ की गुफाओं की तरह लेप पर चित्र बने हुए थे, जो कि अब उपलब्ध नहीं है।
उक्त गुफाओं में महत्वपूर्ण गुफाएं बड़ी कचहरी, छोटी कचहरी, भीम बाजार और राजलोक रानी का महल, हाथी बंधी महत्वपूर्ण है। बड़ी कचहरी गुफा बर्गाकार है जिसमें चार खंभों सहित ढलान है। गुफाओं में उपर से नीचे जाने के लिए प्राकृतिक पहाड़ियों को काटकर सीडीनुमा रास्ता बनाया गया है। अधिकांश गुफाओं और बौद्ध प्रतिमाओं में चट्टानों का क्षरण हुआ है।
About 25 km from the Shyamgarh tehsil of Mandsaur district of Madhya Pradesh, the village Chandravasa, also known as Chandragiri, is located near the famous Dharmarajeshwar temple, the caves of Dhamnar. The said caves The said temple is located 106 km from Mandsaur. And its nearest railway station is Dhamna. Its nearest railway station is located on the Bombay-Nagda-Baroda-railway line. According to the style and configuration, these Buddhist caves can be built from 5-6 to 8-9th century and have been carved by carving deep stone rocks of laterite.
The Buddhist stupa, (house of worship), chaityagriha and vihara (place of stay of Buddhist monks) has been excavated on the slope of the hill. The Buddhist monks have many viharas, including chambers, to meditate and stay. In some viharas, chaitya viharas have been built with chambers and chaityas being built together. The Chaityagriha is a gajpajakar, the circumambulation is around the stupa. The stupas are like half a bowl. The height of a stupa is 5.18 meters, in Anushruti, it is called Elephant's Pill or Elephant's Foot. And at the main gateway of the caves, Kirtimukh, Triratna and Stupa are decorated with decorations. The Ashwanaal-shaped rock chain has more than 200 small and large caves and is spread over an area of 2 km. The caves have been sculpted by carving stones in various postures and forms, including large statues of Gautama Buddha seated in the Nirvana posture, which is now obscured. It appears that paintings on the walls of the caves like caves of Ajanta and tiger are made Took place, which is no longer available.
Important caves in the said caves are Badi Kachari, Chhoti Kachari, Bhima Bazaar and Rajlok Rani's palace, elephant tied. The large court cave is baroque with slopes with four pillars. In order to go from top to bottom in the caves, a natural path has been made by cutting down the hills. Most of the caves and Buddhist statues have undergone rock erosion.
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