विष्णु चतुष्टिका उज्जैन मध्यप्रदेश












विष्णु चतुष्टिका उज्जैन मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश के धार्मिक नगर उज्जैन में गढ़काणिका मंदिर के पास विष्णु चतुष्टिका की प्रतिमा स्थित है जिसका निर्माण 9वीं तथा 10वीं शताब्दी में किया गया था। वर्तमान में उपरोक्त मूर्ति शिल्प को पत्थरों से निर्मित आयताकार कक्ष  में रखा गया है जिसके चारों दीवालों पर जालीदार दरवाजे लगाये गये हैं, जिससे मूर्ति की चारों स्वरूपों को देखा जा सकता है। जहाॅं मूर्ति रखी हुयी है वह स्थान मूल मंदिर नहीं है। परिसर में किसी मंदिर के खण्डित अवशेष इधर उधर जमीन में गढ़ी हुई अवस्था में स्थित हैं। पास ही लकड़ी की छत का पुराना मंदिर भी स्थित हैं।
आयताकार कक्ष में विष्णु के चार स्वरूपों को प्रदर्शित करने वाली पुरातत्वीय दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रतिमा स्थापित है जो 93 से.मी. चैड़ी तथा 96 से.मी. ऊंची है। इस प्रतिमा में चारों ओर विष्णु के अवतारों के चार स्वरूपों सहित मुख आलेखित हैं इसलिए इसे विष्णु चतुष्टिका की संज्ञा दी गई है।  विष्णु की ये चारेां मूर्तियां किर्रीट मुकुट, श्रीवत्स, कुंडल, मयूर, कटकवलय तथा यज्ञोपवीत से अलंकृत एवं पदमासन में हैं यह प्रतिमा उत्कृष्ट व कलात्मक है तथा बलुआ प्रस्तर से निर्मित 9-10 वीं शता.ई.की है।
इस विष्णु चर्तुमूर्ति में -ः
1. पूर्व की ओर चतुर्भुजी वासुदेव स्वरूप है जिनके हाथों में दांयें क्रम से अक्षमाला लिए वरद मुद्रा, गदा, चक्र एवं शंख दर्शाया गया है।
2. दक्षिणी ओर सिंह मुख संकर्षण का अंकन है जो दांयें क्रम से हाथों में अक्षमाला लिए वरद मुद्रा, मूसल, हल तथा शंख लिए हैं।
3. पश्चिमी ओर अनिरूद्ध का अंकन है जिनके हाथों में दाॅंयें क्रम से अक्षमाला लिए वरद मुद्रा, ढाल, खडग एवं शंख का अंकन है।
4. उत्तरी ओर प्रद्युम्न का अंकन है जो दांयें क्रम से हाथों में अक्षमाला लिए वरद मुद्रा, धनुष, वाण एवं शंख लिए हैं इस विष्णु चतुमूर्ति का विष्णु धर्मोत्तर में वर्णित प्रतिमा के अनुरूप ही निर्मित किया गया
विष्णु चतुष्टिका मूर्ति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि ऐसी मूर्ति विश्व में कहीं नहीं पाई गयी है तथा इस मूर्ति के अलग अलग भाग को किसी वस्तु से बजाये जाने पर अलग-अलग मधुर ध्वनियाॅं सुनाई देती हैं।

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