महाबोधी महोत्सव (सांची उत्सव) Mahabodhi Festival (Sanchi Festival)
महाबोधी महोत्सव (सांची उत्सव) प्रत्येक वर्ष नवंबर के आखिरी रविवार को विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची में महाबोधी महोत्सव मनाया जाता है। इस महोत्सव की शुरूआत वर्ष 1952 में नवंबर के अंतिम रविवार को सांची के बौद्ध स्तूप परिसर स्थित चैत्यगिरि विहार मंदिर के लोकार्पण समारोह के रूप में हुई थी। चैत्यगिरि विहार का निर्माण सांची स्तूप स्थित परिसर में महाबोधी सोसायटी श्रीलंका द्वारा किया गया था। उक्त चैत्य विहार की देखरेख का कार्य भी उक्त सोसायटी द्वारा ही किया जाता है। जिसमें पंण्डित जवाहरलाल नेहरू शामिल हुए थे। तभी से हर साल नवंबर में इस समारोह को मनाने की परंपरा चली आ रही है। डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद ने भी इस महोत्सव में शामिल होकर अस्थि कलश की पूजा अर्चना की थी। भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्य सारिपुत्र भंते और महा मोदगल्यान के अस्थि कलश वर्ष 1851 में सांची स्थित स्तूप क्रमांक 03 की खुदाई में मिले थे। उन अस्थिकलशों को वर्ष 1952 में सांची के बौद्ध स्तूप परिसर स्थित चैत्यगिरि बिहार मंदिर में लाया जाकर रखा गया था। पहली बार चैत्यगिरि विहार मंदिर के गर्भगृह में वर्ष 2019 में पारदर्शी क्रिस्टल बा